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020 | _a8186504214 | ||
040 | _aMAIN | ||
041 | _aHindi | ||
082 |
_a891.437 _bRAJ P3 |
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100 | _aराजन्द्र निरोश | ||
245 | 0 |
_aचन्द्रलोक का न्यायतन्त्र (व्यंग्य संग्रह) _cराजन्द्र निरोश |
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260 |
_aदिल्ली _bएच. के. _c2003 |
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300 | _a96 | ||
650 | _aहिन्दी वाग्विदग्धता और परिहास | ||
942 | _cBK | ||
999 |
_c18578 _d18578 |